हमारे यहाँ सभी प्रकार की पूजा करवाने की सुविधा उपलब्ध है।
हमारे यहां सभी प्रकार की पूजा-अर्चना की सामग्री उपलब्ध है, जिसमें पूजा, लक्ष्मी पूजा, सत्यनारायण पूजा, जन्मदिन पूजा, विवाह पूजा, गृह प्रवेश, भूमि पूजा, कार्यालय उद्घाटन आदि शामिल हैं। अनुभवी पंडितों द्वारा विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जिससे आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
हमारे अनुभवी और विद्वान पंडित जी द्वारा समस्त धार्मिक एवं ज्योतिषीय पूजा-पाठ की सेवाएं प्रदान की जाती हैं। यदि आप किसी ग्रह दोष, नकारात्मक ऊर्जा, या जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो हमारे विशेष पूजन अनुष्ठान आपके लिए लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं।
हम महामृत्युंजय जाप, मंगल दोष पूजा, अंगारक दोष पूजा, कालसर्प दोष निवारण पूजा, चांडाल दोष पूजा, ग्रहण दोष पूजा, विष दोष पूजा, रुद्राभिषेक, नवचंडी पाठ, नवग्रह शांति, नीच मंगल पूजा, और नीच शनि दोष पूजा जैसी अनेक शुभ विधियों का आयोजन कराते हैं। ये पूजन आपकी कुंडली के ग्रह दोषों को शांति प्रदान कर जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और मानसिक शांति लाने में सहायक होते हैं।
हमारी पूजा पद्धति पूर्णतः वैदिक रीति-रिवाजों पर आधारित है, जिसे अनुभवी पंडितों द्वारा विधिपूर्वक संपन्न किया जाता है। यदि आप अपने जीवन की समस्याओं का समाधान चाहते हैं और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज ही हमसे संपर्क करें।
हमारी विशेष पूजा सेवाएं
महामृत्युंजय जाप
यह एक शक्तिशाली वैदिक मंत्र जाप है, जो भगवान शिव की कृपा से दीर्घायु, आरोग्य और सुरक्षा प्रदान करता है। इस जाप के माध्यम से असाध्य रोगों, भय, दुर्घटनाओं और अकाल मृत्यु से मुक्ति पाई जा सकती है
कुंडली में मंगल दोष होने से विवाह में विलंब, दांपत्य जीवन में समस्याएं, आक्रामक स्वभाव, करियर में संघर्ष और पारिवारिक अशांति जैसी परेशानियां हो सकती हैं।
जब मंगल और राहु का अशुभ योग बनता है, तो इसे अंगारक दोष कहते हैं। यह दोष क्रोध, चिड़चिड़ापन, संघर्ष, स्वास्थ्य समस्याओं और कानूनी विवादों का कारण बन सकता है। इस पूजा के माध्यम से नकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर सुख-शांति और स्थिरता प्राप्त की जाती है।
कुंडली में नवग्रहों की अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन में आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएं, करियर में बाधाएं और मानसिक अशांति ला सकती हैं। इस पूजा के द्वारा ग्रहों को शांत किया जाता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, सफलता और समृद्धि आती है।
यदि कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच स्थित हों, तो कालसर्प दोष बनता है, जिससे जीवन में बाधाएं, संघर्ष, धन हानि, मानसिक तनाव और संतान संबंधी समस्याएं आती हैं। यह पूजा इस दोष के प्रभाव को कम करके सफलता, समृद्धि और पारिवारिक सुख लाने में सहायक होती है।
जब बृहस्पति ग्रह राहु या केतु के साथ अशुभ स्थिति में होता है, तो चांडाल दोष उत्पन्न होता है, जो व्यक्ति की विद्या, करियर, मान-सम्मान और आध्यात्मिक प्रगति में बाधा डालता है। इस पूजा से ज्ञान, बुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है।